Wednesday 21 May 2014

पारद माला

पारद माला :-

प्राचीन वेदों पारद के अनुसार शुद्धतम में से एक के रूप में माना जाता है और यह सभी धातुओं के लिए शुभ है। पारद का न केवल धार्मिक महत्व यह चिकित्सा महत्व में भी इस्तेमाल किया जाता है। पारद माला एक माला के रूप में एक साथ यह अनुभूत द्वारा बनाई गई है और बुरी आत्माओं और नकारात्मक कंपन के खिलाफ संरक्षण पाने के लिए गर्दन या कमर में पहना जा सकता है। हृदय रोगों, तनाव, मानसिक अवसाद आदि जैसे रोग पारद माला से ठीक हो रहे हैं। कभी कभी यह उच्च रक्तचापए दमा और सेक्स पावर बढ़ाने जैसे विभिन्न रोगों को नियंत्रित करने में अधिक लाभप्रद है। पारद की इसके अलावा आयुर्वेद में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पारद ज्योतिषीय से अनुकूल है और साथ ही वैज्ञानिकी मे भी यह बात साबित हुई है।

मोती के रूप में Parad भी मधुमेह, रक्तचाप और दिल की बीमारियों का बहुत शक्तिशाली इलाज है. parad मोतियों का मनका या माला गर्दन या कमर में पहना किया जाएगा. यह ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि वह जो पूजा पारा एक पुरुष या महिला है, चाहे भक्तिपूर्वक शिवलिंग, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र पूर्ण संसार में सुख मिलता है, और अंत में सर्वोच्च गंतव्य (मोक्ष) पा लेता है. जीवन अवधि के दौरान वे गौरव, सम्मान, उच्च पद, नाम और प्रसिद्धि, बेटों, पोतों और सीखने को मिलता है.




पारद माला धारण एवं प्रभाव



वात-पित्तकफ को साम्यावस्था में रखती है। भूत-प्रेत बाधा, जादू-टोना आदि से रक्षा करती है, निष्प्रभावी बनाती है।
रक्त चाप एवं हृदय रोगियों को सम्बल प्रदान करती है, नकारात्मक प्रभाव से बचाती है।
विद्यार्थियों के लिये भी बल एवं बुद्धि प्रदान करने वाली।
मानसिक एवं शारीरिक श्रम करने वालों के लिये स्फुर्तिदायक।
किसी भी प्रकार का कोई कुप्रभाव नहीं डालती।

यह गुटिका खाने के लिये नहीं है, मात्र गले में धारण करने के लिये है।


इसका दूसरा नाम त्रिलोक्य विजय माला है। इसके पहनने से दरिद्रता दूर होती है तथा शिव व शनि प्रसन्न होते हैं। आकस्मिक धनागमन होने की संभावना बढ़ती है। शरीर के समस्त रोग स्वत: ही धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। शनि की साढ़ेसाती दोष निवारण में भी यह राहत प्रदान करती है।